लखीमपुर-खीरी। पति की दीर्घायु और सलामती के लिए सुहागिनों ने श्रद्धा और
उल्लास के साथ सोलह श्रंगार कर वट वृक्ष की विधिवत पूजा की और वट वृक्ष की जड को
खीरा खरबूजा फल पकवान आदि अर्पित किए।
नगर के साथ साथ गांवों में भी वट पूजा बडे धूम से मनायी गयी महिलाएं
निराहार व्रत रहकर वट वृक्ष की पूजा अर्चना की पूजन के समय महिलाओं की भारी भीड
लगी रही। वट वृक्ष की पूजा कर पति दीर्घायु माँगना बहुत पुरानी परम्परा है इस
पौराणिक परम्परा का सम्बन्ध सत्यवान व सावित्री के उस प्रसंग है जिसमें सावित्री
ने यमराज से सत्यवान के प्राण वापस लाकर उन्हें पुनः जीवित कर लिया था।
मान्यता है कि वह घटना वट वृक्ष के नीचे ही घटी थी जिस पर सत्यवान को
चक्कर आया था और उसके प्राण लेने यमराज आ गये थेए सावित्री द्वारा पति के प्राणों
की रक्षा करने की इस दन्त कथा के बाद से ही महिलायें इस वट वृक्ष की पूजा करती है।
इस दौरान वे तीन सूत्रीय कच्चा धागा बांधकर वट वृक्ष को दूध, फल, अच्छत इत्यादि
अर्पित करती है व वट वृक्ष की परिक्रमा करती है।
वट वृक्ष फलों को चने के साथ निगलकर प्रसाद ग्रहण करती है। पति दीर्घायु
और सलामती की कामना करते हुए वट सावित्री पूजन का पर्व ज्येष्ठ माह की अमावस्या को
पारम्परिक रूप से मनाया गया। पति की दीर्घायु की कामना करते हुए मन्दिरों के परिसर
व वट वृक्ष के आस पास सुहागिन महिलाओं की भारी भीड़ रही।
सुबह से सुहागिनों ने पूजा की थाल सजायें वट वृक्ष को धागा बांधकर फलए
दूधए अच्छत इत्यादि अर्पित करते पूजा अर्चना की और पति की दीर्घायु की कामना की।
श्रद्धा और उल्लास के साथ महिलायें बरगद के पेड़ के नीचे एकत्रित हुई जहाँ पेड़ की
जड़ में फल, दूध, अछत, पकवान आदि अर्पित करते हुए सुख समृद्धि की कामना की।
साथ ही भुइफोरवानाथ मन्दिर में स्थित वट वृक्ष की पूजा करने वाली महिलाओं
की भारी भीड़ रही। इसके अलावा ऋषि आश्रम, पंजाबी कालोनी, वन विभाग कार्यालय आदि
जगहों पर पूजा करने वाली महिलाओं की भारी भीड़ लगी रही। वहीं भुइफोरवानाथ मन्दिर
दिन भर मेला लगा रहा।
वट वृक्ष में हैं त्रिदेव
पंडित मधुरेश नारायण अवस्थी ने बताया कि कि ज्येष्ठ माह की अमावस्या को
सुहागिन महिलाएं वट सावित्री व्रत पूजन करती हैं। मान्यता हैं जहां वट वृक्ष
यबरगदद्ध की जडों में ब्रह्मा तने में भगवान विष्णु और डालियों पत्तियों में भगवान
शिव का निवास माना जाता है।
नगर संवाददाता मो0 असलम की रिपोर्ट
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