निघासन-खीरी। क्षेत्र की ग्राम पंचायतों में ग्राम निधि से गांवो में
उजाले के लिए लगवाई गई स्ट्रीट लाइटो में शासन के उद्देश्यों की जमकर धज्जियां
उड़ाई गई। माह मार्च मे लगाई गयी स्ट्रीट लाइटे चार माह बाद ही दगा दे गयी और गांव
जगमगाने के बजाय अधंरे मे हो गया है।
वहीं बताया जाता है कि गांव मे लगवाई गयी स्ट्रीट लाइटो को बाजार से 1000
रुपये के लगभग में खरीदा गया और पांच हजार रुपए का बिल लगाकर कमीशन का खेल खेला
गया है। स्ट्रीट लाइट घोटाला क्षेत्र के
गांवों मे चर्चा का विषय बना हुआ है। सरकार ने गांवो को रोशनी से जगमगाने के लिये
स्ट्रीट लाइटे लगवाये जाने का प्रावधान बनाया था ताकि गांव रोशनी से जगमगाते रहे
लेकिन कर्मचारी शासन की मंशा के हिसाब से काम न करके सिर्फ अपनी जेबे भरने के लिए
बड़े पैमाने पर कमीशन बाजी का खेल खेला गया है।
इतना ही नही विकास विभाग कर्मचारी व ग्राम प्रधान ने सांठ.गांठ करके गांवो
में स्ट्रीट लाइट लगाने वालों से कागजो मे लिखापढ़ी दो साल की गारन्टी करवा ली
लेकिन यह लाइटे छः माह भी नही चल पाई। स्ट्रीट लाइट खराब हो जाने के कारण उनकी
रोशनी से जगमगाने वाले गांव एक बार फिर अंधेरे मे डूब गये। विकास विभाग के
कर्मचारी व ग्राम प्रधान इस तरह गाढ़ी कमाई करने के चक्कर मे घटिया कम्पनी की
स्ट्रीट लाइटे लगवाकर शुरु मे तो खूब वाहवाही लूट ली लेकिन खराब होने के बाद वही
ग्रामीण उंगलियां उठाने लगे है।
मिली भगत के चलते क्षेत्र की ग्राम पंचायतों में आये दिन हो रहे घोटालो पर
अधिकारी भी नजर डालने मे कतराते है जबकि आये दिन कोई न कोई घोटाला होता रहता है
लेकिन विभाग के छोटे कर्मचारी व बड़े अधिकारियों की जेबे भर जाने के बाद मामला ठंडे
बस्ते में डाल दिया जाता है।
इस सम्बंध मे कई ग्राम विकास अधिकारियों से पूछा गया कि आप की ग्राम
पंचायत में कितनी स्ट्रीट लाइटे आई है तो किसी ने भी सन्तोष जनक जबाब नही दिया।
खण्ड विकास अधिकारी आलोक वर्मा ने बताया कि स्ट्रीट लाइटो घोटाले का प्रकरण सामने
आया है मामले की जांच कर कार्यवाही की जायेगी।
निघासन से विनोद गुप्ता की रिपोर्ट
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