सिंगाही-खीरी। सुकरात की कहानी पढ़ी है तो याद भी जरूर होगी। पूस की काली
रात और कड़ाके की ठंड। चोरियों का डर भी खासकर इन्हीं दिनों में बढ़ जाता है। पिछला
साल भी इसका साक्षी है। घरों में चोरों की आहट से बचना है तो संभलकर ही रहना होगा।
चोरों से हर किसी को सुरक्षित रखना महज पुलिस के बस की बात भी नहीं है।
पुलिस गली मोहल्ले और हर घरके सामने खड़ी नहीं रह सकती। अमूमन कड़ाके की ठंड
वाली पूस की काली रातों में लिहाफ की गर्मी इंसान को बेसुध कर देती है। बताते हैं
कि इन्हीं दिनों में अचानक चोर सक्रिय हो जाते हैं। मौका मिला और घर में घुसकर हाथ
साफ कर लिया लेकिन चैन की नींद के आगे गृहस्वामी और उनके परिजन सबकुछ भूल जाते
हैं। पिछले साल पूस के महीना में चोरी की ताड़बतोड कई वारदातें हुई थीं। लोगों को
माल और नकदी का नुकसान उठाना पड़ा।
सबसे बड़ी दिक्कत इन दिनों में रात के समय बिजली का अचानक गुल हो जाने से
भी रही है। अंधेरे का पूरा फायदा उठाने में माहिर चोरों का पता ही नहीं लग पाता।
जागने पर पता चलता घर में चोरी हो जाने का। बुजुर्ग कहते हैं कि जानमाल की सुरक्षा
करना खुद का भी कर्तव्य है। चूके के बाद किसी को दोष देना फिर बेकार साबित हो जाता
है।
बहुत जरूरी है ये
० देर रात तक मार्केटिंग की वजाय जल्दी पहुंचे घर
० सोने से पहले खिड़की.दरबाजे कर लें चेक
० रात के वक्त दुपहिया वाहन गलियारें में न छोडें
० घर के पास संदिग्ध व्यक्ति नजर आने हो जाएं सतर्क
० किसी अपरिचित को रात के समय घर में न दें लिफ्ट
० पड़ोसी का भी रखें पूरा ख्याल
० रिश्तेदारी में जाने से पहले पड़ोसी को जरूर बताएं
क्या कहते है थानाध्यक्ष
वही थानाध्यक्ष अजय कुमार मिश्र ने बताया कि कड़ाके की ठंड के दिनों में
पुलिस गश्त को तेज कर दिया गया है। प्रमुख स्थानों पर पुलिस की पिकेट भी लगा दी गई
है। पुलिस तो हर वक्त सजग रहती है लेकिन चोरी की घटनाओं को रोकने की दिशा में
नागरिकों को भी सहयोग करना चाहिए।
सिंगाही से मसरुर खान की रिपोर्ट
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