बेलरायां-खीरी। लालापुर चिंतन वाटिका में आज शहीदी दिवस मनाया गया, इस मौके पर मुख्य अतिथि रहे समाजसेवी विजय वर्मा ने भारत के लाल जिन्होंने अपने प्राणों को न्योछावर कर देश को आजाद कराने में कदमों को पीछे नही हटने दिया उन्हें याद कर भावभीनी पुष्पों से श्रंद्धाजलि दी।
कार्यक्रम का शुभारंभ देश के लिए अपनी जान की बाजी लगाने वाले पंडित रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्ला खान, ठाकुर रोशन सिंह की याद में उनके चित्र पर मुख्य अतिथि समाजसेवी विजय वर्मा ने पुष्प अर्पित व दीप प्रज्ववलित कर किया। इस मौके पर श्री वर्मा ने देश के प्रति शहीद होने वाले अमर शहीदों के जीवनी पर प्रकाश डालते हुए बताया कि 19 दिसम्बर इस दिन को देश के लोग बलिदान दिवस के रुप में मनाते है 1927 को पण्डित राम प्रसाद श्बिस्मिलश् को गोरखपुर जेल में फाँसी दी गई।
ठाकुर रोशन सिंह को इलाहाबाद की मलाका यनैनीद्ध जेल में फाँसी दी गई और अशफाक उल्ला खाँ को फैजाबाद जेल में फाँसी। इन सभी को शत शत नमन करते हुए भावुक लहजे और रुंधे हुए गले से कहा कि इन शहीदों ने अपनी जान देना गवारा कर लिया लेकिन वतन पर के खिलाफ एक शब्द भी बर्दाश्त नही किया। आज जरुरत है शहीदों के सपने का भारत बनाने की।
उन्होंने उपस्थित सभी लोगों से आह्वान करते हुए सपथ ली कि हम जब तक जिंदा है भारत के लिए और जब तक जिस्म में जान है तब तक हम किसी भी हालत में भारत की शान को घटने नही देंगे यही सच्ची शहीदों के प्रति श्रंद्धाजलि है। इस मौके पर अब्दुस्समद खान, रामनरायन वर्मा, शकील अहमद, प्रधान दामोदर वर्मा, दीनदयाल वर्मा, मुन्ना खान सहित काफी लोग मौजूद रहे।
बेलरायां से शकील अहमद की रिपोर्ट
कार्यक्रम का शुभारंभ देश के लिए अपनी जान की बाजी लगाने वाले पंडित रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्ला खान, ठाकुर रोशन सिंह की याद में उनके चित्र पर मुख्य अतिथि समाजसेवी विजय वर्मा ने पुष्प अर्पित व दीप प्रज्ववलित कर किया। इस मौके पर श्री वर्मा ने देश के प्रति शहीद होने वाले अमर शहीदों के जीवनी पर प्रकाश डालते हुए बताया कि 19 दिसम्बर इस दिन को देश के लोग बलिदान दिवस के रुप में मनाते है 1927 को पण्डित राम प्रसाद श्बिस्मिलश् को गोरखपुर जेल में फाँसी दी गई।
ठाकुर रोशन सिंह को इलाहाबाद की मलाका यनैनीद्ध जेल में फाँसी दी गई और अशफाक उल्ला खाँ को फैजाबाद जेल में फाँसी। इन सभी को शत शत नमन करते हुए भावुक लहजे और रुंधे हुए गले से कहा कि इन शहीदों ने अपनी जान देना गवारा कर लिया लेकिन वतन पर के खिलाफ एक शब्द भी बर्दाश्त नही किया। आज जरुरत है शहीदों के सपने का भारत बनाने की।
उन्होंने उपस्थित सभी लोगों से आह्वान करते हुए सपथ ली कि हम जब तक जिंदा है भारत के लिए और जब तक जिस्म में जान है तब तक हम किसी भी हालत में भारत की शान को घटने नही देंगे यही सच्ची शहीदों के प्रति श्रंद्धाजलि है। इस मौके पर अब्दुस्समद खान, रामनरायन वर्मा, शकील अहमद, प्रधान दामोदर वर्मा, दीनदयाल वर्मा, मुन्ना खान सहित काफी लोग मौजूद रहे।
बेलरायां से शकील अहमद की रिपोर्ट
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