बर्ड वाचिंग डे पर चिड़ियो को देख चेहके बच्चो के मन





लखीमपुर-खीरी। भारत व नेपाल के बार्डर पर स्थित दुधवा टाइगर रिजर्व सहित पूरे जनपद में बर्ड वाचिंग डे बहुत ही उत्साह के साथ मनाया गया। दुधवा मे स्कूली बच्चों ने वहां जाकर कई स्थानों पर चिड़ियों को देखकर उनकी पहचान की।

शुक्रवार को बर्ड वाॅचिंग डे पर दुधवा की सठियाना] गौरीफंटा] दक्षिण सुनारीपुर] उत्तर सुनारीपुर] बेलराया] किशनपुर रेंज व सेमरई गांव में वन क्षेत्राधिकारियों] उपप्रभागीय वनाधिकारी एवं दुधवा उपनिदेशक महावीर कौंजलगि ने बच्चों को जंगल व बाकेताल में जाकर चिड़ियां दिखाई और लालसर] फ्लैराडाइस] फ्लाईकैचर] इमरलडक] इडियन पिट्टा] रेडक्रिटन पुजाई] कामनकुट] पलपल मोरहन आदि पक्षियों के बारे में विशेष जानकारी भी दी।

ज्ञात हो दुधवा पार्क में लगभग 450 प्रकार की चिड़िया पाई जाती है। इसके अलावा सर्दियों में ठण्डे देशों से भी आने वाली पक्षी इस समय यहां देखे जा सकतें है।

पक्षियो का कलरव देख खिल उठे बच्चो के चेहरे
बर्ड वाचिंग प्रोग्राम के तहत गोला के निकटवर्ती दो स्कूलों के 120 छात्र छात्राओं ने सेमरई वेटलैंड का भ्रमण किया जिसमें स्थानीय और प्रवासी पक्षियों के कलरव और गतिविधियां देखकर बच्चों के चेहरे खिल उठे। इस दौरान वन अधिकारियों ने प्रकृति में पक्षियों के महत्व की जानकारी देते हुए पक्षियों के संरक्षण के प्रति जागरूक किया।

दक्षिण खीरी वन प्रभाग के डीएफओ अखिलेश पांडेय ने बच्चों को स्थानीय व प्रवासी पक्षियों के बारे मे जानकारी देते हुए बताया कि पक्षी प्रकृति की अनुपम रचना है जिसका बेहद महत्व होता है। पक्षी शुद्ध वातावरण मंे अपना बसेरा बनाते हैं तथा इनके उड़ने की क्षमता अमूमन 15 घंटे होती है।

इनमें खंजन नामक पक्षी ठंडक के मौसम का प्रतीक माना जाता है और गर्मियां आने पर प्रवासी पक्षी दूसरे देशों में लौट जाते हैं। इनका संरक्षण हमारी जिम्मेदारी है ताकि प्रकृति सुंदर रह सके। वन अधिकारी डा0 वी0पी0 सिंह ने बताया कि पक्षियों में नाइट्रोजन पाया जाता है और प्रकृति में सैकड़ों प्रकार के अद्भुत पक्षी विचरण करते हैं।

बच्चो को मिले सवालो के जवाब
क्यो दूर हुई आंगन की गौरैया] क्यो लापता हुए पर्यावरण के दोस्त गिद्ध] कौन सी चिडिया है मानव की दोस्त........ऐसे तमाम सवालो का जवाब बच्चो को वन विभाग के बर्ड वाचिंग कार्यक्रम मे मिला। शुक्रवार को यह बताने के लिए रमियाबेहड ब्लाक के त्रिवेणी प्रसाद स्कूल के बच्चो को जंगल के अफसरो के साथ भगहर झील के किनारे ले जाया गया।

टूर मे वन अधिकारियो ने बच्चो को पक्षियो की विभिन्न प्रजातियो की पहचान कराई और यह भी बताया कि किस पक्षी का मानव जीवन और पर्यावरण संरक्षण मे क्या योगदान है। बच्चो ने नजदीक से पक्षी तो देखे ही साथ ही दूर से पक्षियो की गतिविधियाँ देखने के लिए विभाग ने उन्हे दूरबीन भी उपलब्ध कराई। झील के किनारे बच्चो को लुप्त हो रहे सारस भी दिखाकर अधिकारियो ने इसकी जीवन शैली के बारे मे विस्तार से बताया। 

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