लखीमपुर-खीरी। सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भले ही
वूमेन पावर लाइन जैसी तमाम योजनाए चलाकर स्मार्ट पुलिसिंग कराते हुए महिलाओं की
सुरक्षा की बात करते हो लेकिन लखीमपुर-खीरी में हकीकत बिल्कुल इसके विपरीत है।
वैसे तो लोग पुलिस को जनता के रक्षक के रुप मे जानते हैं लेकिन जनपद खीरी की मित्र
पुलिस रक्षक का नहीं बल्कि भक्षक का रोल निभा रही है। और तो और खीरी के पुलिस
अधिकारियो को पब्लिक द्वारा काॅल करने पर जब वह सीयूजी नंबर ही नहीं उठाते तो ऐसे
में कैसे संभव होगी स्मार्ट पुलिसिंग।
ताजा मामला सिंगाही के खैरीगढ़ का है जहां गत 16 जनवरी
की रात को अपहृत हुयीं कोल्हू व्यापारी की तीनो बेटियांे को बरामद करने के नाम पर
खीरी पुलिस महज खानापूर्ति करती नजर आई और सर्च आपरेशन चलाने की लकीर पीटती रही
लेकिन लड़कियों की बरामदगी मे पुलिस की कोई भूमिका नहीं रही बल्कि उल्टे पुलिस पर
आरोप है कि वह परिजनो पर फिरौती की रकम देने के लिए दबाव बना रही थी। अब प्रश्न
यहां पर यह उठता है कि क्या इस पूरे अपहरण काण्ड मे पुलिस की भी मिलीभगत है जिसके
लिए पुलिस फिरौती की रकम देने के लिए दबाव बना रही थी ताकि पुलिस को भी उस रकम का
हिस्सा मिल सके।
लड़कियों के परिजनों ने सोमवार देर रात इण्डो-नेपाल
बार्डर पर ग्राम भैरमपुर के पास स्थित गन्ने के खेत मे अपहरणकर्ताओं को फिरौती की
रकम पांच लाख रुपया व दो लीटर पेट्रोल देकर लड़कियों को रिहा कराया। फिरौती की रकम
लेकर गए प्रताप जो रामबली गुप्ता के घर मे रहता है और उनका विश्वसनीय व्यक्ति है,
ने बताया कि किडनैपर्स मे दो सिख, तीन सम्प्रदाय विशेष व एक अन्य व्यक्ति शामिल
था। किडनैपर्स अपहृत उपमा के फोन से लगातार उनसे बात करते रहे और फिरौती की रकम व
पेट्रोल लेने के बाद वहीं पास मे स्थित रेलवे क्रासिंग तक बाइक से उनके साथ मे आए
फिर वहां से नेपाल की ओर फरार हो गए।
प्रताप के मुताबिक जब वो लोग बेलरायां चीनी मिल के पास
पहुंचे तो उन्हें पुलिस की जीप जाती हुई दिखाई पडी। अपहृत उपमा ने बताया कि अपहरण वाली रात वह बारी
बारी से अपनी चप्पलें रास्ते मे क्लू के रुप मे छोड रही थी ताकि पुलिस इन सुरागों
के सहारे जल्द ही उन तक पहुच जाए लेकिन बदमाशों के पांच किलोमीटर की रेंज में होने
के बावजूद पुलिस उन तक नहीं पहुची, अगर पुलिस चाहती तो हम लोग तुरन्त वापस आ जाते।
उपमा ने बताया कि बदमाशों ने तीनांे बहनों से कहा कि वो उनके पिता रामबली को अगवा
करने गए थे, उनके न मिलने पर बदमाशों ने तीनों बहनो को अगवा किया।
अपहृत बहनों के मुताबिक बदमाशों ने उनकी आंखो पर पट्टी
बांध रखी थी। किडनैपर्स ने उन्हें किसी प्रकार की कोई प्रताड़ना नहीं दी बल्कि अपनी
बहनो की तरह मानते हुए रात मे उन्हें कंबल दिया तथा अलाव के लिए आग जलवाई और खाने
मे उन्हंे रोटी सब्जी भी दी। लड़कियों की मां मुन्नी देवी ने लड़कियों के सकुशल वापस
घर पहुचने पर खुशी जाहिर करते हुए इसे ईश्वर की कृपा बताया। साथ ही मुन्नी देवी ने
परिवार की सुरक्षा की मांग भी की है।
फिरौती की रकम मैनेज कराती है पुलिस
गांव वालों की माने तो सिंगाही पुलिस लगातार पीड़ित
परिवार पर बदमाशों को फिरौती की रकम देकर मामले को रफा दफा करने की बात कर रही थी।
ग्रामीणो का आरोप है कि पुलिस अक्सर अपहरण के मामलों मे फिरौती की रकम मैनेज करा देती
है। पूर्व मंे भी निघासन इलाके में हुए एक दूधिये के अपहरण व धौरहरा इलाके मे
सर्राफा व्यवसायी के अपहरण मे पुलिस ने अपहरणकर्ताओ के बीच मध्यस्थ्ता निभाते हुए
उन्हें फिरौती की रकम दिलाकर अपहृत लोगांे को रिहा कराया था और काफी समय बाद उसका
खुलासा करके अपनी वाह वाही लूटी थी। ऐसे ही तथ्य इस मामले मे भी उभरकर सामने आ रहे
है।
सीओ व एसओ पर किडनैपर्स से मिलीभगत का आरोप
ग्रामीणों ने इस अपहरण काण्ड मे सीओ निघासन मो0
इब्राहिम व एसओ सिंगाही जे0पी0 यादव पर किडनैपर्स संग मिलने का ऐलानिया आरोप लगाया
है। ग्रामीणों की माने तो ये दोनो इससे पूर्व हुए तीन अपहरण काण्डों मे
अपहरणकर्ताओं व पीड़ितों के मध्य फिरौती की रकम के लेने देन की कड़ी बन चुके
हैं।
पुलिस की भूमिका शुरु से रही संदिग्ध
लड़कियों के मामा सपा नेता राजीव गुप्ता की माने तो इस
अपहरण काण्ड में इलाकाई पुलिस समेत पूरी खीरी पुलिस की भूमिका शुरुआत से ही
संदिग्ध रही है। अपहरण वाली रात भी 100 नंबर, एसओ सिंगाही जेपी यादव, सीओ निघासन
मो0 इब्राहिम व एसपी अखिलेश चैरसिया को फोन किया गया लेकिन किसी ने फोन रिसीव तक
नहीं किया। फिर मुख्यमंत्री आवास पर फोन होने के बाद हरकत मे आया पुलिस प्रशासन
मौके पर पहुुंचा, तभी रात तीन बजे लखनऊ से डीआईजी डी0के0 चैधरी ने गांव पहुचकर
मौका मुआयना किया। और तो और डीआईजी डी0के0 चैधरी का 24 घण्टे के अंदर अपहृत
लड़कियों को बरामद करने का दावा भी खोखला नजर आया। राजीव का दावा है कि लड़कियों की
बरामदगी मे पुलिस ने कोई रोल नहीं निभाया बस सर्च आपरेशन के नाम पर खानापूर्ति ही
करती रही।
पुलिसिया कार्य प्रणाली पर लगा प्रश्न चिन्ह ?
खैरीगढ़ मे हुए तीन सगी बहनों के अपहरण काण्ड में अब तक
करीब 72 घण्टे बीत जाने के बावजूद खीरी पुलिस के हाथ खाली है। पुलिस अभी तक एक भी
किडनैपर को गिरफ्तार नहीं कर सकी। कहने को भले ही खीरी पुलिस लड़कियों की बरामदगी
हेतु लगातार काम्बिंग की बात करती रही हो, लेकिन अगर बदमाश पांच किलोमीटर की रेंज
मे ही थे तो पुलिस के हाथ उन तक क्यों नहीं पहुच पाए। ऐसे कई प्रश्नों ने खीरी
पुलिस की लचर कार्य प्रणाली पर सवालिया निशान लगा दिया है।
आईजी एसटीएफ पहुंचे खैरीगढ़
खैरीगढ़ मे हुए तीन बहनों के अपहरण काण्ड मे जांच करने
खैरीगढ़ पहुचे एसटीएफ के आईजी सुजीत कुमार पाण्डेय ने मौका मुआयना किया। आईजी ने
जिले की सारी पुलिस टीम के साथ बैठक करके अधीनस्थांे को आवश्यक दिशा निर्देश दिए।
श्री पाण्डेय ने बताया कि अपहरणकर्ताओं की गिरफ्तारी हेतु एसटीएफ की टीमें लगी
हुयी हैं, मैने सर्च आपरेशन और तेज करने के निर्देश दिए है। बहुत जल्द ही घटना मे
शामिल सभी किडनैपर्स को गिरफ्तार करके मामले का खुलासा किया जायेगा।
क्या कहते हैं कप्तान साहब
खीरी पुलिस प्रशासन के मुखिया एसपी अखिलेश चैरसिया से
इस बाबत बात करने पर उन्होने सफाई देते हुए कहा कि ‘‘ फिरौती की रकम व पेट्रोल
देने की जानकारी हमे नहीं है, जब उन्हें पैसे मिल गए हैं तो वो कहीं निकल गए
होंगे। पुलिस तलाश में लगी है, हमारा प्रयास है कि उन्हें जल्द ही गिरफ्तार किया
जाएगा। यह पूछे जाने पर कि किडनैपर्स की गिरफ्तारी मे पुलिस इतना समय क्यों लगा
रही है, इस पर कप्तान साहब ने कहा कि हम लोग लगे तो हैं अभी इनकी गिरफ्तारी मे 2-3
दिन तो लग ही जायेंगे, अगर मिल गए तो बढ़िया............। ‘‘
पुलिस के मिलीभगत के आरोप पर पूछे जाने पर एसपी ने
बताया कि मेरे संज्ञान मे ऐसी कोई बात नहीं आई है, अगर ऐसा कुछ है तो जांच कराकर
दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की जायेगी।
अब यहां पर काबिले गौर यह है कि अगर पुलिस व एसटीएफ
लगातार कांबिंग करती रही तो जब परिजन किडनैपर्स को फिरौती व पेट्रोल देकर अपनी
बच्चियों को रिहा करा लाए उस वक्त पुलिस कहां थी और कैसी कांबिंग कर रही थी। अगर
पहले दिन ही पुलिस ने पीड़ित परिवार के फोन रिसीव करके सक्रियता दिखाई होती तो शायद
किडनैपर्स पुलिस की गिरफ्त मेें होते।
कप्तान साहब का ये कहना कि अगर किडनैपर्स मिल गए तो
बढ़िया.........। और अगर नहीं मिले तो क्या खीरी पुलिस इस मामले को ठण्डे बस्ते मे
डालकर कुम्भकर्णी नींद सो जायेगी और फिर किसी अन्य के अपहरण का इंतजार
करेगी.........? इस बात से खीरी की मित्र पुलिस की कार्य प्रणाली का सहजता से ही
अंदाजा लगाया जा सकता है।
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