ब्यूरो। वैसे तो भगवान शिव के सुमिरन मात्र से ही भक्तों की हर मनोकामनाएं
पूरी हो जाती है लेकिन बाबा भोलेनाथ के किस स्वरुप के पूजन से कौन सी इच्छा पूरी
होती हैं, आइये इसके बारे मे आगे जानते है......
धर्म शास्त्रो में भगवान शिव को जगत पिता बताया गया हैं, क्योकि भगवान शिव
सर्वव्यापी एवं पूर्ण ब्रह्म हैं। हिंदू संस्कृति में शिव को मनुष्य के कल्याण का
प्रतीक माना जाता हैं। शिव शब्द के उच्चारण या ध्यान मात्र से ही मनुष्य को परम
आनंद की अनुभूति होती है। भगवान शिव भारतीय संस्कृति को दर्शन ज्ञान के द्वारा
संजीवनी प्रदान करने वाले देव हैं। इसी कारण अनादिकाल से भारतीय धर्म साधना में
निराकार रूप में होते हुवे भी शिवलिंग के रूप में साकार मूर्ति की पूजा होती हैं
लेकिन भगवान शिव की मूर्ति पूजन का भी अपना ही एक महत्व है।
श्रीलिंग महापुराण में भगवान शिव की विभिन्न मूर्तियों के पूजन के बारे
में बताया गया है। श्रीलिंग महापुराण के अनुसार, भगवान शिव की अर्धनारीश्वर मूर्ति
की पूजा करने से सुयोग्य पत्नी और सुखी वैवाहिक जीवन की प्राप्ति होती है। माता
पार्वती और भगवान शिव की बैल पर बैठी हुई मूर्ति की पूजा करने से संतान सुख की
प्राप्ति होती है, माता पार्वती सहित नृत्य करते हुए हजारों भुजाओं वाली भगवान
भोलेनाथ की मूर्ति की पूजा करने से मनुष्य जीवन के सभी सुखों का लाभ लेता है।
जिस मूर्ति में भगवान शिव एक पैर, चार हाथ और तीन नेत्रों वाले और हाथ में
त्रिशूल लिए हुए हों तथा जिनके उत्तर दिशा की ओर भगवान विष्णु और दक्षिण दिशा की
ओर भगवान ब्रह्मा की मूर्ति हो, ऐसी प्रतिमा की पूजा करने से मनुष्य सभी बीमारियों
से मुक्त रहता है और उसे अच्छी सेहत की प्राप्ति होती है। पुत्र कार्तिकेय के साथ
भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की मूर्ति की पूजा करने से मनुष्य की सभी
मनोकामनाएं शीघ्र ही पूरी हो जाती हैं तथा सुख-सुविधा की सभी वस्तुएं प्राप्त होती
हैं।
भगवान शिव की तीन पैरों, सात हाथों और दो सिरों वाली मूर्ति जिसमें भगवान
शिव अग्निस्वरूप में हों, ऐसी मूर्ति की पूजा-अर्चना करने से मनुष्य को अन्न की
प्राप्ति होती है। नन्दी और माता पार्वती के साथ सभी गणों से घिरे हुए भगवान शिव
की ऐसी मूर्ति की पूजा करने से मनुष्य को मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। चार
हाथों और तीन नेत्रों वाली, गले में सांप और हाथ में कपाल धारण किए हुए भगवान शिव
की सफेद रंग की मूर्ति की पूजा करने से धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है।
जो मनुष्य भगवान शिव की उपदेश देने वाली स्थिति में बैठे भगवान शिव की
मूर्ति की पूजा करता है, उसे विद्या और ज्ञान की प्राप्ति होती है। काले रंग की,
लाल रंग के तीन नेत्रों वाली, चंद्रमा को गले में आभूषण की तरह धारण किए हुए, हाथ
में गदा और कपाल लिए हुए शिव मूर्ति की पूजा करने से मनुष्य की सभी परेशानियों
खत्म हो जाती है तथा रुके हुए काम पूरे हो जाते है।
दैत्य जलंधर का विनाश करते हुए सुदर्शन चक्र धारण किए भगवान शिव की मूर्ति
की पूजा करने से शत्रुओं का भय खत्म होता है। ध्यान की स्थिति में बैठे हुए व शरीर
पर भस्म लगाए हुए भगवान शिव की मूर्ति की पूजा करने से मनुष्य के सभी दोषों का नाश
होता है। जटा में गंगा और सिर पर चंद्रमा को धारण किए हुए एवं बाएं ओर गोद में माता
पार्वती को बैठाए हुए और पुत्र कार्तिकेय और गणेश के साथ स्थित भगवान शिव की ऐसी
मूर्ति की पूजा करने से घर-परिवार के झगड़े खत्म होते है और घर में सुख-शांति का
वातावरण बनता है।
ऐसी मूर्ति जिसमें भगवान शिव दैत्य निकुंभ की पीठ पर बैठे हुए दाएं पैर को
उसकी पीठ पर रखे हो और उनके बाईं ओर पार्वती हों, ऐसी मूर्ति की पूजा करने से
शत्रुओं पर विजय मिलती है। हाथ में धनुष-बाण लिए हुए रथ पर बैठे भगवान शिव की पूजा
करने से मनुष्य को जाने-अनजाने किए गए पापों से मुक्ति मिलती है।
साभार पर्दाफाश
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