मंजूनाथ के हत्यारों को सुप्रीम कोर्ट ने भी नहीं बख्शा, मिली उम्रकैद





लखीमपुर-खीरी। जिले के थाना गोला गोकर्णनार्थ इलाके मे बीते दस पूर्व हुए मंजूनाथ हत्याकाण्ड मामले मे सुप्रीम कोर्ट ने छः आरोपियो को उम्र कैद की सजा सुनाई है।

ज्ञात हो कि कर्नाटक निवासी 27 वर्षीय षणमुगम मंजूनाथ बीते दस वर्ष पूर्व वर्ष 2005 मे लखनऊ इण्डियन आॅयल कार्पोरेशन के लिए सेल्स आफीसर के रुप मे काम करता था। इस दौरान जनपद खीरी के कस्बा गोला गोकर्णनाथ मे स्थित मित्तल पेट्रोल पम्प पर डीजल व पेट्रोल मे पम्प मालिको द्वारा जमकर मिलावटखोरी की जा रही थी।

इसकी सूचना जब आईओसी के ईमानदार सेल्स आफीसर मंजूनाथ को लगी तो मंजूनाथ ने उक्त पेट्रोल पम्प का सघनता से जांच एवं निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान मित्तल पेट्रोल पम्प को मिलावटी ईंधन बेचते हुए पाय और इसके लिए मंजूनाथ ने पेट्रोल पम्प को सील करते हुए भ्रष्टाचार का खुलासा किया था।

इस पर पम्प मालिक पवन कुमार उर्फ मोनू मित्तल ने मंजूनाथ को ऐसा न करने के लिए उस समय करीब पचास लाख रुपये की रिश्वत देने का प्रलोभन भी दिया तथा इसे न मानने पर उसे जान माल की धमकी भी दी थी लेकिन मंजूनाथ ने इसे ठुकराते हुए पम्प को सील कर दिया था। इसके करीब एक महीने बाद पेट्रोल पम्प मालिक ने जबरन फिर से पेट्रोल पम्प का संचालन शुरु कर दिया।

साथ ही पेट्रोल पम्प मालिक पवन कुमार मित्तल ने अपने साथियों संजय अवस्थी, हरीश मिश्रा, शिवकेश गिरी, विवेक शर्मा, देवेश अग्निहोत्री, राकेश आनन्द व राजेश वर्मा के साथ मिलकर एक षडयंत्र रचा जिसके मुताबिक आरोपियो ने 19 नवम्बर 2005 की रात्रि करीब साढ़े नौ बजे मंजूनाथ को आईओसी की खराब मशीन वापस लेने के बहाने अपने पेट्रोल पम्प पर बुलाकर छः गोलियो से उसे छलनी करते हुए उसकी हत्या कर दी थी।

इसके बाद आरोपियो ने इनके शव को इन्ही की कार मे रखकर उसे महोली (सीतापुर) के पास छोड़ आये थे जहां से शव की बरामदगी हुयी थी। यह हत्याकाण्ड जनपद खीरी का काफी चर्चित हत्याकाण्ड रहा था, इस मामले मे आरोपियो की पैरवी करने के लिए उनके वकील लखीमपुर-खीरी मे तो थे ही इसके साथ ही साथ आरोपियो को बचाने के लिए हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट तक से वकील आते थे।

इस मामले की सुनवाई करते हुए तत्कालीन जिला एवं सत्र न्यायाधीश एस0एम0 आब्दी ने 24 मार्च 2007 को इस मामले से जुड़े आठो आरोपियो को दोषी पाते हुए मुख्य आरोपी पवन उर्फ मोनू मित्तल को मौत की सजा तथा अन्य सात आरोपियो को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

इसके बाद इस मामले की अपील दोषियो ने उच्च न्यायालय मे की थी जिसकी सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 12 दिसम्बर 2009 को मुख्य आरोपी पवन उर्फ मोनू मित्तल की फांसी की सजा को आजीवन कारावास मे तब्दील कर दिया था तथा आरोपी हरीश मिश्रा व संजय अवस्थी को इस मामले मे दोषी न पाते हुए उनको बाइज्जत बरी कर दिया था और शेष पांच आरोपियो की आजीवन कारावास की सजा बरकरार रखी थी।

चूंकि इस मामले के सभी आरोपी काफी रईस व दबंग किस्म के व्यक्ति थे इस कारण अपना बचाव करते हुए इन लोगो ने सुप्रीम कोर्ट मे मामले की सुनवाई कराना सुनिश्चित करते हुए हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील दायर की।

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गम्भीरता के मद्देनजर दोषी पाये गये छः आरोपियो पवन उर्फ मोनू मित्तल, शिवकेश गिरी, विवेक शर्मा, देवेश अग्निहोत्री, राकेश आनन्द व राजेश वर्मा की आज आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा है।

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