लखीमपुर-खीरी। जनपद में राशन कार्ड बनाने का अभियान निरन्तर जारी है जिससे
जहां एक ओर बडे पैमाने पर पात्रों को राशन कार्ड सुविधा मिलना सुनिश्चित है वहीं
दूसरी ओर लावारिस हालत में कूड़ों के ढेर पर मिलने वाले सादे बीपीएल कार्डो से
पूर्ति विभाग का असली चेहरा भी बेनकाब हुआ है।
ऐसा ही मामला प्रकाश मे आया है जिले के गोला गोेकर्णनाथ ब्लाक में जहां
राशनकार्ड बीते दस सालों से नही बनें, आलम यहाँ तक पहुँच गया कि लाभार्थियों के
राशन कार्ड गायब होने व भर जाने के बाद तथा फटने के बावजूद बदले नही गये जिसके
पीछे कारण यह रहा कि पूर्ति विभाग के कथनानुसार सादे राशनकार्ड पूर्ति विभाग के
पास उपलब्ध नही थे।
सवाल यह उठता है जब दस साल तक पूर्ति विभाग के पास राशन कार्ड थे ही नहीं
तो गोला गोकर्णनाथ के मोहल्ला पश्चिमी दीक्षिताना के निकट सरदार भगवान सिंह लांबा
के मकान के पीछे प्लाट में लगे कूड़े के ढ़ेर में लावारिस हालत में पड़े सादे राशन
कार्ड कहाँ से आए ? इसका जवाब पूर्ति विभाग के पास नही है।
वर्तमान मे जिले भर मे नए राशनकार्ड बनाने व डाटा फीडिंग का अभियान चल रहा
है और पुराने राशन कार्ड निरस्त हो रहे हैं। ऐसे में लावारिस पडे राशनकार्ड इस बात
को बल प्रदान कर रहे हैं कि इन पर बडे पैमाने पर खेल खेला जाता रहा है।
इन राशनकार्डो की कालाबाजारी इस बात का संकेत देती है कि गरीबी रेखा के
नीचे के इन कार्डो को गरीबी रेखा के ऊपर के लोग सरकारी व गैर सरकारी सुविधाआंे को
लेने के लिए खरीद फरोख्त करते रहे हैं चूँकि बीपीएल कार्डो पर बडे अस्पतालों में
निःशुल्क चिकित्सा सुविधा भी मिलती है और आरक्षण प्रक्रिया में भी लाभ मिलता है।
यही नही बेराजगारों को व छात्रों के महाविद्यालयों व व्यवसायिक शिक्षा में
भी लाभ मिलता है इसलिए यह राशन कार्डो का गोरख धंधा पूर्ति विभाग की मिली भगत से
दलालों व कुछ राशन विक्रेता तथा कार्ड जारी करने वाले अधिकारियों के बीच का है।
अगर प्रशासन द्वारा इस मामले की गहराई से जांच की जाये तो शायद एक बड़े
खुलासे से इंकार नही किया जा सकता है।
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