लखीमपुर-खीरी। वन विभाग के अधिकारियो व खनन माफियाओं की मिलीभगत से
आरक्षित वन से सटे इलाके में खनन कार्य की खबर पर एसडीओं वन गोला द्वारा जांच व
कार्यवाही के निर्देश से खलबली मच गई।
ज्ञात हो कि गोला वन रंेज की बीट पश्चिमी से सटा ग्राम भवानीगंज में खनन
माफिया जेसीबी मशीन व ट्रालों के माध्यम से मिट्टी खनन निरन्तर कर रहे है। इसमें
वनविभाग व पुलिस तथा प्रशासन की सहभागिता भी जुड़ी हुई है। इसकी खबर एसडीओ वन गोला
आरके सिंह को मिली जिस पर उन्होने वनरेंज अधिकारी गोला को वनाधिनियम का पालन करने
व जांच कर खनन माफिया के खिलाफ कार्यवाही करने के निर्देश जारी किए जिसके बाद
वनविभाग में खलबली मच गई।
वन रक्षक अशोक कुमार वर्मा ने मौके पर जाकर मिट्टी खनन कार्य को बंद कराने
का निर्देश दिया। बताते चलें कि वन अधिनियम की धारा 63 के तहत आरक्षित वन क्षेत्र
के 200 मीटर परिधि में किसी प्रकार का बालू-मिट्टी खनन कार्य नही किया जा सकता है।
खनन कार्य के लिए सबसे पहले खनन करने वाले ठेकेदार को भूमि मालिक की सहमति से
जिलाधिकारी को शपथ पत्र दिया जाता है जिस पर अपर जिलाधिकारी पूर्ण आख्या के साथ
पर्यावरण प्रदूषण नियत्रंण बोर्ड को पत्र लिखकर खनन के लिए सहमति मंगाते है।
बाद में सहमति मिलने पर उसकी राॅयल्टी जमा कर खनन का अधिकार जारी किया
जाता है लेकिन गोला क्षेत्र में खननमाफियों व अधिकारियों के गठजोड़ के चलते यह सारे
नियम कानून रिश्वत की हवस के चलते कागजों में ही सीमित होकर रह गए है और खुलेआम
बगैर अधिकार पत्र के मिट्टी व बालू खनन का कार्य जारी है।
हैरत की बात यह है कि जिस विभाग का मुखिया प्रदेश का मुख्यमंत्री हो उस
विभाग के अधिकारी कानूनों को ताक पर रखकर खनन कार्य कराएं तो यह बात प्रमाणित होती
है कि या तो मुख्यमंत्री का भय नही है या
रिश्वत के बाजार में रेंज अधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री तक सभी इसमंे हाथ धो रहे
हैं।
सवाल यह है कि जब रक्षक ही भक्षक बन जाएगें तब उस प्रदेश की व्यवस्था पटरी
पर कैसे आ सकती है?
إرسال تعليق