सोता रहा वन विभाग, मर गया तेंदुआ





लखीमपुर-खीरी। साउथ खीरी फारेस्ट डिवीजन की मैलानी रेंज में रविवार को जंगल की झाड़ियों के बीच एक तेंदुआ का शव बरामद हुआ जबकि तेंदुआ के खून पर मिट्टी डालकर उसे छिपाया भी गया। तेंदुए के शव को पोस्टमार्टम हेतु बरेली भेजा गया है।

उधर लापरवाह वन विभाग ने यह तेंदुआ सड़क दुर्घटना में मरा बताकर मामले से अपना पल्ला झाड़ लिया। मिली जानकारी के मुताबिक साउथ खीरी फारेस्ट डिवीजन की मैलानी रेंज में रविवार सुबह एक तेंदुआ का शव मिला, वहीं शव के पड़ोस पड़े तेंदुए के खून पर मिट्टी भी पड़ी हुई थी। घटना की सूचना पाकर किशनपुर रेंजर केएल गौतम सहित वन विभाग के तमाम अफसर मौके पर पहुंचे तथा शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम हेतु बरेली भेजा।

बताते चलें कि बीते दो माह में जिले मे एक बाघ व दो तेंदुआ की मौत हो चुकी है। करीब एक महीना पूर्व भी गोला क्षेत्र के अलीगंज में नहर के पास एक बाघ का शव पानी मे उतराता हुआ मिला था। रविवार को फिर से साउथ खीरी फारेस्ट डिवीजन की मैलानी रेंज में तेंदुआ का शव मिलने से इलाके मे सनसनी फैल गई।

वन्य जन्तुओ के संरक्षण हेतु हुयी थी दुधवा पार्क की स्थापना.......
ज्ञात हो कि वन संपदा एवं वन्यजीव जंतुओं को संरक्षण देने के लिए विश्व विख्यात दुधवा नेशनल पार्क की स्थापना की गई थी जबकि बाघों के संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिए दुधवा टाइगर प्रोजेक्ट भी शुरु किया गया था जिसकी असफलता वन विभाग की लचर कार्य प्रणाली के चलते जगजाहिर है और वन विभाग के क्रियाकलापों पर सवालिया निशान लगा रही है।

जिले में दुधवा नेशनल पार्क के समीपवर्ती वन क्षेत्र की देखभाल साउथ एवं नार्थ खीरी फारेस्ट डिवीजन द्वारा की जाती है। दुधवा के जंगल से बाहर आए बाघ समीपवर्ती नार्थ एवं साउथ खीरी के वनक्षेत्र में विचरण करते रहते हैं इसके बाद भी नार्थ एवं साउथ खीरी फारेस्ट डिवीजन के अफसर अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए हमेशा यह कह देते हैं कि उनके जंगल में बाघ व तेंदुआ नहीं रहते हैं। उनकी इस उदासीनता का खामियाजा बाघों और तेंदुओं को भुगतना पड़ रहा है।
      
अगर वन विभाग वन्य जीवो के प्रति संवेदनहीनता दिखाता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब वनराज किताबों के पन्नों में ही सिमटकर रह जाएगें। 

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