लखीमपुर-खीरी।
जनपद के ब्लाक निघासन क्षेत्र के अंतर्गत महराजनगर वन ब्लाक में करीब 25 एकड़ भूमि
पर वृक्षारोपण हेतु अग्रिम मृदा कार्य के नाम पर मनरेगा के तहत लाखों रुपये वन
विभाग ने खर्च होना दिखाया है।
मजे की
बात तो यह है कि आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी में वनविभाग ने महराजनगर वन ब्लाक
के नाम से कोई स्थान ही नहीं होना बताया है। यह पैसा कहां खर्च किया गया। इस बात
का जवाब वनविभाग के पास भी नहीं है। बताते चलें कि दक्षिण रेंज लुधौरी क्षेत्र के
अंर्तगत छेदुईपतिया, मदनापुर, मूडाबुजुर्ग, सोनाकलां, बैलहा, लालपुर समेत करीब 20
वनब्लाक आते है। मूडाबुर्जुग के मजरा महराजनगर में वर्ष 2012 में वनविभाग की भूमि
पर वृक्षारोपण के लिए अग्रिम मृदा कार्य करीब 2.973 लाख की लागत से रक्षावती,
मायवती, रामप्रसाद समेत करीब 450 मनरेगा मजदूर ने काम किया है।
भाकापा
माले नेता रंजीत सिंह ने बताया कि करीब 30 सालों से वनविभाग की इसी जमीन पर
आशियाने के अलावा खेती बाड़ी करते आ रहे है। इसका वाद भी हाईकोर्ट में लंबित है।
यहां पर कोई भी कार्य नहीं हुआ है। समाज सेवी हरसुख पाल सिंह हैप्पी ने जब आरटीआई
के तहत वनविभाग से कराए गए कार्यों की जानकारी मांगी तो उसमें महराजनगर वन ब्लाक
अंकित था।
जब
उन्होने महराजनगर वन ब्लाक की भौगोलिक स्थित के बारे में पूंछा तो वनविभाग ने
महराजनगर वनब्लाक दक्षिण रेंज निघासन में होना नहीं बताया है। यह वनब्लाक कहां है
किसी को जानकारी नहीं है, जबकि मूडाबुर्जुग ग्राम पंचायत के मजरे महराजनगर के करीब
450 मजदूरों ने यहां पर मनरेगा के तहत काम भी किया है।
मामले के
बाबत जानकारी करने पर डीएफओ जीपी सिंह ने कहा कि मामले की जानकारी मिली है, जांच
कराने के बाद कार्रवाही की जाएगी।
जांच की
मांग
हरसुखपाल
सिंह हैप्पी ने इस घपले बाजी की शिकायत मनरेगा आयुक्त के अलावा सीएम समेत
आलाअधिकारियों से जांच की मांग की है।
सवालों के
घेरे में वनविभाग
यदि
वनविभाग की मानें तो यह वनब्लाक इस रेंज में नहीं है। मनरेगा नियमावली के अनुसार
ग्रामपंचायत का जाबकार्ड धारक इसी ग्राम पंचायत के पांच किलोमीटर की रेंज में ही
काम कर सकता है। यदि वह पांच किलोमीटर से अधिक दूरी पर जाता है तो उसे मजदूरी के साथ
में टीए तथा डीए भी मिलेगा। जबकि इन मजदूरों को मजदूरी के अलावा कोई भी अतरिक्त
भत्ता नहीं दिया गया है।
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