अरे ! क्या यही है लोहिया गांव.....?





लखीमपुर-खीरी। जनपद के विकास खण्ड मितौली क्षेत्र मंे शासन द्वारा चयनित राममनोहर लोहिया ग्रामों की स्थिति विकास कार्यों की नजर में बद से बदतर बनी हुई है ंजबकि वर्ष 2007 में अम्बेडकर ग्राम व वर्ष दो हजार बारह-तेरह में लोहिया समग्र ग्राम के रूप में चयनित किये गये लोहिया ग्राम रौतापुर में सम्पर्कमार्ग पेयजल, विद्युतीकरण, शिक्षा,स्वास्थ्य बाल विकास परियोजना स्वच्छ शौचालय योजना, लोहिया आवास योजना तथा ग्राम पंचायत की गलियों में हल्की बारिष में कीचड ़युक्त बरसाती पानी रास्तांे की शोभा बढ़ा रहा है।

 ज्ञात हो कि शासन द्वारा जारी शासनादेश के तहत लोहिया ग्रामों के सर्वांगीण विकास के कृम में समस्त विभागीय योजनाओं का क्रियान्वयन किया जाना चाहिए किन्तु विकास कार्यों पर अगर गौर किया जाय तो लोहिया ग्राम रौतापुर के विकास में अब तक विकास कार्य अधूरे ही पड़े हुए है। नागरिकों का कहना है कि विकास कार्यकृमों में कार्यदायी संस्थाओं के लोगों की ऊँची पहुँच होने के कारण विकास कार्यो में जंग सी लगती प्रतीत होती है। सम्पर्कमार्ग के नाम पर मुख्यमार्ग पर जब उक्त ग्रामपंचायत अम्बेडकर ग्राम के रूप में चयनित हुई थी तभी लखीमपुर मैगलगंज मार्ग से कचियानी होते हुए रौतापुर तक लोक निर्माण विभाग द्वारा पेंन्टेड रोड का निर्माण कराया गया था वह भी अब जगह-जगह टूट चुकी है।

 लोहिया ग्राम में मुख्यमार्ग पर इन्टरलाकिंग रोड का कार्य आज भी अधूरा पड़ा हुआ है। ग्रामीणों का कथन है कि गांव में सात सौ मीटर सी सी रोड प्रस्तावित थी किन्तु अब तक मात्र तीन सौ मीटर ही सी सी रोड का निर्माण कराया गया है वह भी मानक के अनुरूप नहीं हुआ है। गाव की गलियों में सड़क व नाली का निमार्ण अपूर्ण होने के कारण यहां के ग्रामीण नरकीय जीवन व्यतीत करने को विवश है। पेयजल स्वच्छ पेयजल के नाम पर गांव में लगाए गए इण्डियामार्का हैण्डपम्प के पास के पास से जल निकासी की व्यवस्था न होने के कारण जल भराव बना रहता है। अधिकांश हैण्डपम्प रीबोर होने योग्य है। विद्युतीकरण के नाम पर गाव में वर्ष 2007 में अम्बेडकर समग्र ग्राम के तहत विद्युतीकरण कराया गया था किन्तु ट्रान्सफारमर खराबी के कारण चोर खम्भों से तार ही उतार ले गए।

वर्ष 2007 से अब तक विभाग द्वारा खम्भों पर तार नही लगाए गए। लोहिया समग्र ग्राम होने के बाद भी आज तक रौतापुर के ग्रामीण अंधेरे में जीवन यापन करने को मजबूर है। स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर यहां पर ए एन एम सेन्टर तक का निर्माण नही कराया गया। ग्रामीणों को स्वास्थ्य सेवाओं के लिए यहां से चार किलोमीटर दूरी तयकर मितौेली मुख्यालय जाना पड़ता है। गर्मी आते ही मच्छरों के प्रकोप से संक्रामक बीमारियां फैलने की आशंका बनी हुई है।

आवास एवं स्वच्छ शौचालय आज भी अपूर्ण है। शौचालयो में ठेकेदारी व्यवस्था के तहत लगाए गए पल्ले छोटे होने के कारण कई शौचालय पल्ले विहीन पाए गए। कुछ आवास आजतक अपूर्ण है।

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