इक्कीस मार्च को विरोध दिवस मनायेंगे अधिवक्ता





लखीमपुर-खीरी। पूरे प्रदेश के अधिवक्ता आगामी 21 मार्च को न्यायालय की अवमानना अधिनियम मे संशोधन की मांग को लेकर विरोध दिवस मनायेंगे।

बार कौंसिल आफ उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष अजय कुमार शुक्ल ने बताया कि अवमानना अधिनियम मे सत्य तथ्य के प्रकटीकरण को अवमानना की श्रेणी से बाहर करने, अवमानना के मामलो का निस्तारण ट्रायल के रुप मे करने तथा उक्त अधिनियम पीठासीन अधिकारियों पर भी प्रभावी रुप से लागू होने आदि के आशय के संशोधन की मांग को लेकर प्रदेश भर के अधिवक्ता तेईस मार्च को विरोध दिवस मनायेगे तथा जिलाधिकारी एवं उपजिलाधिकारी को उक्त आशय का महामहिम राष्ट्रपति को सम्बोधित ज्ञापन देंगे।

 उन्होने कहा कि वर्तमान अवमानना अधिनियम के प्राविधान प्राकृतिक न्याय के सिद्धान्त तथा लोकतांत्रिक व्यवस्था के प्रतिकूल है। उन्होने युवा अधिवक्ताओं को दिये जाने वाले स्टाइपेण्ड का भुगतान अविलम्ब प्रारम्भ करने की मांग करते हुए 27 वर्ष के स्थान पर 30 वर्ष तक के अधिवक्ताओं को स्टाइपेण्ड की योजना का लाभ दिये जाने की मांग की। श्री शुक्ल ने कहा कि बार कौंसिल के प्रयासों के परिणामस्वरुप प्रदेश मे अधिवक्ताओं के लिए पांच लाख का बीमा, युवा अधिवक्ताओं के लिए स्टाइपेण्ड और प्रत्येक बार एसोशिएसन को ई लाइब्रेरी से युक्त करने की योजना लागू की गई है।

श्री शुक्ल ने मांग की कि प्रदेश मे अविलम्ब प्रभावी लोकपाल की व्यवस्था सुनिश्चित करते हुए भ्रष्टाचार के गम्भीर मामलो मे कड़ी कार्यवाही की जाये। उन्होने अधिवक्ता कल्याण कोष के लिए एडवोकेट वेलफेयर एक्ट मे संशोधन कर बजटीय प्राविधान लागू किये जाने एवं उच्च न्यायालय द्वारा लिये गये निर्णय के अनुसार प्रदेश मे राजस्व न्यायालयो के लिए अलग से कैडर गठित कर उसमे अधिवक्ताओं की नियुक्ति और अधिवक्ताओं की मांगे प्रदेश सरकार शीघ्र पूरी करे।

उन्होने कल्याणकारी योजनाओ को लागू करने के साथ साथ प्रदेश सरकार के अधिवक्ताओ की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए हत्या के शिकार हुए अधिवक्ताओं के परिजनो को 25-25 लाख रुपये क्षतिपूर्ति का प्रावधान सुनिश्चित करने की मांग की है।

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