लखीमपुर-खीरी। प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती, फिर चाहे वह छोटे से
कस्बे में ही जन्म क्यों न ले। इसकी मिसाल पेश की है कि जनपद खीरी मे इंडो नेपाल
सीमा से सटे पलिया के शांतम गोयल ने।
पेरियार मैनियामाई विश्वविद्यालय से एयरोस्पेस में बीटेक कर रहे इस छात्र
ने श्डेफ हियरिग मशीन बनाकर जनपद खीरी ही नहीं बल्कि अपने परिवार का भी नाम रोशन
कर दिया है। पिछले दिनों विश्वविद्यालय में हुए अंर्तराष्ट्रीय सम्मेलन में उसे
दूसरा स्थान भी मिला है। जनपद खीरी मे भारत नेपाल सीमा से सटी तहसील पलिया के
छात्र शांतम गोयल ने बधिर लोगों को सुनने की शक्ति प्रदान करने की मंशा से श्डेफ
हियरिंग मशीन बनाई है। जिससे दुर्घटना या फिर किन्हीं और कारणों से सुनने की
क्षमता क्षीण होने वालों की बहरेपन की कुंठा को दूर भगा सकते हैं।
सेंट एंस कालेज से इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद पेरियार
मैनियामाई विश्वविद्यालय से एयरोस्पेस में बीटेक की डिग्री हासिल कर रहे शांतम को
इस मशीन को बनाने के लिए विश्वविद्यालय में आपदा नियंत्रण एवं प्रबंधन पर हुए
अंर्तराष्ट्रीय सम्मेलन में दूसरा स्थान प्राप्त हुआ है। इस सम्मेलन में यूएसए के
तीन जजों ने निर्णायक की भूमिका निभाई थी और अमेरिका व चीन के छात्रों ने प्रतिभाग
किया था।
बताते चलें कि शांतम के पिता अनिल
गोयल शहर में कास्मेटिक की एक छोटी सी दुकान चलाते हैं और पति पत्नी दोनों मिलकर
दुकान का संचालन करते हैं। बेटे की इस उपलब्धि पर पिता और माता फूले नहीं समा रहे
हैं।
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