बेटी को बोझ समझना समाज के लिए कलंक : डा0 ए0के0





लखीमपुर-खीरी। जनपद की तहसील पलियाकलां क्षेत्र के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में राष्ट्रीय बालिका दिवस के उपलक्ष्य मे एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।

गोष्ठी मे कन्या भ्रूण हत्या पर चिंता जताते हुए इसे रोकने के उपायों पर विचार किया गया। गोष्ठी के दौरान यह भी बताया गया कि बेटी बचाने के लिए पहले सोच को बदलने की जरूरत है। मुख्य अतिथि के रुप मे उपस्थित बाल रोड विशेषज्ञ डा. एके अवस्थी ने गोष्ठी मे बोलते हुए कहा कि बेटी कोई अभिशाप नहीं है, बल्कि वह तो देवी का रूप है लेकिन बेटी को बोझ समझा जाता है, यह समाज के लिए एक कलंक के समान है।

डा अवस्थी ने कहा कि आधुनिकता के दौर में महिलाएं पुरूषों के बराबर आकर खड़ी हो रही है, लेकिन कन्या भ्रूण हत्या पर रोक नहीं लग पा रही है जो कि एक सोचनीय विषय है और इसके लिए हम सभी को व्यापक कदम उठाने की जरूरत है।

 गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए सीएचसी प्रभारी डा. यशवंत सिंह ने कहा कि आज हमें अपनी सोच बदलने की जरूरत है और बेटा बेटी एक समान की सोच विकसित करने की आवश्यकता है क्योंकि जब तक हमारी सोच नहीं बदलेगी, तब बेटियों की सुरक्षा नहीं हो सकती है। गोष्ठी को चिकित्सक एमके शुक्ला, एचइओ डा. वीपी त्रिपाठी ने भी संबोधित किया।

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