लखीमपुर-खीरी। कांग्रेस नेत्री वैशाली अली ने कहा है कि किसानों का हक दिलाने
के लिए उन्हें चाहे जितनी बार जेल जाना पडे़ वह पीछे नहीं हटेगीं और उनके द्वारा शुरू
किया गया गन्ना किसान आन्दोलन किसानों का पिछला बकाया भुगतान न होने और चीनी मिलों
को शुरू न किये जाने तक जारी रहेगा।
गुलरिया चीनी मिल प्रबंधन द्वारा अपने व ग्रामीण किसानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज
करवाये जाने की जानकरी समाचार पत्रों के माध्यम से मिलने के बाद वैशाली अली वरिष्ठ
कांग्रेस नेता रामेंद्र जनवार व अपने अन्य सहयोगियों के साथ आज सवेरे ही फिर बस्तौली
गांव पहुंची और फांसी लगाकर जान देने वाले किसान सत्यपाल के घर जाकर सत्यपाल की पत्नी
लता सिंह बेटियों वर्षा सिंह व पायल सिंह तथा बेटे शानू सहित वहां मौजूद सैकड़ों ग्रामीणों
व किसानों से बातचीत की।
वैशाली अली ने कहा कि वह किसानों और निर्दोष ग्रामीणों के साथ खड़ी है और किसानों
को लूटने और उनके खिलाफ गोली बारी करने वाले गुलरिया मिल प्रबंधन कि हिम्मत हो तो वह
उन्हे और किसानों को गिरफ्तार करवा कर दिखाये उन्हांेने कहा कि किसानों के हक की लड़ाई
में उन्हें जेल ही नहीं फांसी पर भी चढ़ाया जाए तो इसके लिए तैयार है। उन्हांेने कहा
कि सत्यपाल किसान था और उसने पिछले साल अपने भाई की पर्चियों पर मिल को गन्ना अपूर्ति
की थी ऐसा आमतौर पर होता है कि किसान दूसरों की पर्चियों पर गन्ना सप्लाई करते है मगर
इस वजह से उनका किसान होना, खेती करना और मिल में गन्ना अपूर्ति करने को खारिज नहीं
किया जा सकता।
उन्हांेने कहा कि सत्यपाल का परिवार
संयुक्त परिवार है और वे एक दूसरे परिजनों की पर्चियों पर गन्ना अपूर्ति करते रहते
है ऐसा दूसरे किसान भी करते है। वैशाली अली ने चीनी मिलों के इस तर्क को सिरे से खारिज
किया कि उन्हें गन्ना खरीद में घाटा हो रहा है उन्होने कहा कि मिल मालिकों द्वारा लगातार
नई मिलों की स्थापना की जा रही है अगर उन्हें घाटा हो रहा है तो नई मिले लगाते जाना
के संभव हो पा रहा है उन्हांेने कहा कि जिस मिल मालिक की प्रारम्भ में एक मिल थी उसकी
मिलों की संख्या दर्जनों में पहंुच गई है और जो किसान एक एकड़ का जोतकार था कर्ज और
बकायेदारी में उसकी जमीन घटकर आधी रह गयी है।
वैशाली अली ने कहा कि जिला प्रशासन को किसानों के खिलाफ गोलियां चलवाने, पानी
की बौछार चलवाने और पत्थर फेंकवाये जाने के आरोप में मिल प्रबंधन को तत्काल गिरफ्तार
करवाया जाना चाहिए अगर ऐसा नहीं किया गया तो प्रदेश सरकार जिला प्रशासन के खिलाफ गांव-गांव
में किसान आन्दोलन करने में बाध्य होगें।
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