खाद्य विभाग की खाऊ कमाऊ नीति के चलते मिलावट का धंधा जोरों पर





लखीमपुर-खीरी। जनपद मे खाद्य विभाग की खाऊ कमाऊ नीति के कारण उनकी चुप्पी के चलते मिलावटखोर सक्रिय हैं। जनपद मे खास तौर पर खाद्य तेलों और घी में हो रही मिलावट से लोगों के स्वास्थ्य को खतरा पैदा हो गया है। वनस्पति घी में विदेशी पाम ऑयल की मिलावट के केस जिलें में उजागर भी हो चुके हैं।

अलबत्ता यूं कहा जाये कि मिलावटखोर इतने चालाक हैं कि जल्दी पकड़ में नहीं आ पाते या नोटों की गड्डी मुंह मे दबाये जनपद मे कुम्भकर्णी नींद सो रहा खाद्य विभाग इन्हें पकड़ना ही नहीं चाहता। सच तो यह है कि अगर इन मिलावटखोरों पर लगाम नहीं कसी गई तो ये मिलावटखोर समाज को बीमार करके पंगु भी बना देंगे। वनस्पति घी में विदेशी पाम ऑयल की मिलावट प्रचलन में आ गई है। पाम ऑयल विदेशी ऑयल है और भारतीय तेलों से लगभग आधे दामों में इसकी खरीद होती है। इसकी फैट्स शरीर में विघटित नहीं होती है।

सरसों के तेल के नाम पर इस बहु प्रचलित खाद्य तेल में कटैया का तेल और राइस ब्रान ऑयल की मिलावट हो रही है। ये दोनों ही मानव शरीर के लिए घातक तेल हैं। स्वास्थ्य पर इनका विपरीत प्रभाव पड़ता है। इसमें आरजीमोन के बीज तथा विषैला रंग मिलाया जाता है। सरसों का तेल खाद्य तेल के रूप में सर्वाधिक उपयोग किया जाता है। शुद्ध देशी घी में वनस्पति घी की मिलावट की जा रही है इसके लिए बड़े-बड़े कड़ाहों में गर्म कर इसमें मिलावट का खेल होता है। वहीं खुशबू के लिए आ रहे एसंेस का उपयोग करके मिलावटखोरों द्वारा ग्राहकों का शोषण किया जा रहा है।

जनपद मे मिलावटखोरों द्वारा निर्मित देशी घी व खाद्य तेल की सप्लाई अन्य जिलों मे भी की जाती है। इन्ही मिलावटखोरों के कारण भारतीय किसानों को अपने तेल का उचित मूल्य नहीं मिल पाता है, और इनके द्वारा निर्मित मिलावटी तेल मे सबसे ज्यादा ट्रांस फैट्स होता है, जो शरीर में विघटित नहीं होता जिसकी वजह से लोगों को हार्ट अटैक, ब्रेन हेमरेज, पक्षाघात और हाइपरटेंशन जैसे रोग हो जाते हैं।

बताते चलें कि दो साल पहले शासन ने खुले खाद्य तेल बेचने पर रोक भी लगाई थी, इसके लिए पूर्ति विभाग समेत कई विभागों को जिम्मेदारी भी सौंपी गई थी व सील बंद बिक्री के लिए पांच-पांच सौ ग्राम तक के पैकेट तक की छूट भी दी गई थी लेकिन जनपद खीरी मे खाद्य विभाग की मिलीभगत के चलते अब तक खुले खाद्य तेलों की बिक्री पर कोई रोक नहीं लगाई गई है और न ही मिलावटखोरी रोकने हेतु आज तक इसके क्रियान्वयन पर कोई गौर ही किया गया। 

ऐसे करें मिलावटी घी की पहचान 
जांच के लिए परखनली में थोड़ा घी लेकर उसमें कपड़े धोने का सोडा मिलाएं। यदि झाग निकले तो समझें कि यह सस्ते तेल का मिश्रण है। अगर गंध वाले तेल हों तो ये देखना चाहिए कि उसका गंध ज्यादा तीखा तो नहीं है। क्योंकि ज्यादा तेज गंध वाले खाद्य पदार्थ असली नहीं होते। घी में टिंचर आयोडीन मिलाने से यदि यह रंग बदलता है तो उसमें मिलावट है।

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