लखीमपुर-खीरी। जनपद के भीरा थाना क्षेत्र के रैनागंज गांव में पुलिस की पिटायी
से हुई राकेश की मौत को अगर बिजुआ पुलिस गंभीरता से लेती तो शायद यह खौफनाक मंजर सामने
न आता। पुलिस ने अपनी काली करतूतों पर अपनी वर्दी का रौब दिखाकर मामले को छिपाने का
प्रयास किया। अगर पुलिस ने यहां पर अहतियात बरतते हुए मामले को सुलझाने का प्रयास करती
तो शायद एक चिंगारी शोले का रूप धारण न करती। जिसका खामियाजा पुलिस को एक बार फिर खून
की छीटों से धोना पड़ा।
बिजुआ में जो कुछ भी हुआ उससे कोई
भी अन्जान नही हैं। खीरी में खाकी नें एक बार फिर खून की होली खेली और शिकार बनी गरीब
जनता खाकी पर लगने वाला यह कोई पहला वाक्या नही हैंे। इससे पहले चाहे निघासन थाने का
सोनम हत्याकाण्ड हो या ढकेरवा में रंजीत मर्डर या नीमगांव का साबिर काण्ड नें खाकी
को शर्मशार किया हैे। लेकिन पुलिस ने इन मामलो को गंभीरता से न लेते हुए एक बार फिर
राकेश हत्याकाण्ड से सुर्खियों में छा गई। प्रत्यक्षदशर््िायों की माने तो पुलिस की
पिटाई से हुई राकेश की मौत से आक्रोशित कुछ ग्रामीण सबसे पहले राकेश के शव को बिजुआ
चैकी पर लाकर दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग कर रहे थें, लेकिन
पुलिस नें अपने जुर्म को छिपाने के लिए उल्टा ग्रामीणों पर ही हावी हो गए और उन पर
डण्डे का बल प्रयोग करते हुए ग्रामीणों को चैकी से खदेड़ना शुरू कर दिया जिससे कुछ ग्रामीणों
को हल्की चोटें भी आई यही बात नें आग में घी डालनें का काम किया और एकजुट हो भीड़ आक्रोशित
हो गई, फिर चैकी पर धावा बोल दिया जो भी मिलता गुस्से का शिकार होता पुलिसवालो की रायफले
छीन ली और चैकी को आग के हवाले कर दिया।
काश पुलिस नें जरा सी सूझबूझ का परिचय देते हुए दोषी पुलिसकिर्मयों के खिलाफ
कार्यवाई करने का आश्वासन दिया होता तो शायद इतने बड़े बवाल को टाला जा सकता था। बिजुआ
में राकेश की मौत से हुए बवाल को आज चार दिन बीत गए लेकिन फिर भी पूरे कस्बें में सन्नाटा
पसरा हैं। लोंग दहशत के सांए में जीने को मजबूर हैं। यही कारण हैं कि धीरे धीरे अपने
रंग में लौट रही बिजुआ चैकी पर अभी तक कोई भी अपनी फरियाद लेकर नही आया।
एक पुरानी कहावत हैं कि मीठा-मीठा गप्प-गप्प कड़ुवा-कड़ुवा थू-थू यही हो रहा
है, आजकल बिजुआ में ग्रामीणों ने उपद्रव तो जमकर काटा लेकिन अब जब पुलिस उपद्रवियों
पर कार्यवाई करने की सोच रही हैं। तो लोगो ने अपने घरो से निकलना छोड़ दिया हैं। लोगो
में डर सता रहा हैं कि कही पुलिस उन्हे मुकदमें में न धर दंें।
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