वाचरों पर हुए हमले से पसगवां थानाध्यक्ष मुकरे





लखीमपुर-खीरी। जनपद के पसगवां थाना क्षेत्र की बरवर बीट के जंगलो में वही हुआ जिसका डर वन कर्मियों को सता रहा था। आज प्रातः लगभग छः बजे दिलावरनगर वासियों ने अपने नेता के नेतृत्व में जंगल में रखवाली कर रहे वाचरो पर जानलेवा हमला कर उन्हे जख्मी कर दिया तथा उनके कपड़े रजाई गददो में आग लगा दी तथा अन्य सामान लूट ले गये। अगर ये चारो वाचर भागकर अपनी जान बचाते तो आधा सैकड़ा से अधिक टागिये इनकी हत्या भी कर सकते थे। 


 वाचरों की ओर से थाना पंसगवा में रिपोर्ट दर्ज किये जाने को तहरीर दी गई है। वन विभाग ने अपने यहा मुकदमा दर्ज कर लिया है। वनरेंज अधिकारी भगवान सिंह यादव बरवर से प्राप्त जानकारी के अनुसार बरवर बीट अन्तर्गत आने वाले जंगल प्लानेटशन को आबाद हुए तथाकथित टांगियो के द्वारा लम्बे समय से वन सम्पदा को भारी छति पहुचाई जा रही है। लगभग दस हेक्टेयर भूमि से टांगियों ने जब वन कर्मियों पर जानलेवा हमले शुरू किये तो जिला प्रशासन ने वन सम्पदा वन कर्मियों की जीवन रक्षा के लिये एक कम्पनी पीएसी को वहा तैनात कर दिया था। जिसे नवागुन्तक जिलाधिकारी पुलिस अधीक्षक ने दो अक्टूबर को वहा से हटवा दिया।  

इसी वन क्षेत्र में बने गौसदन में रह रहे वाचर हिमायत अली रामंिसंह कृष्णपाल एवं छोटेसिंह भयभीत रहते हुए वन की रखवाली कर रहे थे। आज प्रातः लगभग छः बजे रमाशंकर उर्फ रामशंकर पुत्र सुब्बालाल के नेतृत्व में लगभग 60-70 पुरूष महिलाए जो लाठी डण्डो धारदार शस्त्रो से लैस थे ने गौसदन पर उक्त वाचरो के आवासो पर हमला कर दिया तथा मारपीट करने लगे तथा इन वाचरों की हत्या के इरादे से बाके तलवारो से वार किये गये। जिनके लगने से वह जख्मी भी हो गये। अचानक हुए इस हमले से भयभीत होकर ये चारो जख्मी होने के बाद भी जंगल में भाग कर अपनी अपनी जान बचाई तथा मोबाइल फोन से रेंज आफिस को सूचना दी। 


 सूचना पाते ही वन दरोगा इकलाक अहमद सिददीकी के नेतृत्व में वनकर्मियों की एक टुकड़ी बरवर पुलिस चैकी से बल लेकर मोके पर पहुची तो वहा का नजारा देखकर दंग रह गये। इन अताताईयों ने वाचरों के रजाई गददे कपड़े जला दिये थे तथा अन्य सामान लूट ले गये। तलाश के बाद जंगल में उक्त वाचर पडे़ मिले जिन्हे यहा लाया गया तथा वन विभाग में उक्त रमाशंकर 60-70 लोगो के विरूद्ध केस दर्जकर एक तहरीर पंसगवा पुलिस को रिपोर्ट दर्ज कराने को दी गयी।  

इस सम्बन्ध में जब थानाध्यक्ष पसगवां से वार्ता की गई तो उन्होने बताया कि किसी तरह का हमला हुआ ही नहीं है और ही अभी हमे कोई तहरीर मिली है। उनके इस बयान से ऐसा महसूस हो रहा है जैसे पुलिस इस घटना को पी जाने की फिराक में है इसीलिए समाचार लिखे जाने तक पंसगवा पुलिस ने तो रिपोर्ट ही दर्ज की थी और घायलो की डाक्टरी ही करायी थी। इस जानलेवा हमले से छोटे वन कर्मी खासे भयभीत है तथा जंगल में जाने से डर रहे है।

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