लखीमपुर-खीरी। स्कूली बच्चों को ढोने वाली बसों और अन्य वाहनों के लिए प्रदेश के परिवहन आयुक्त की ओर कई दिशा निर्देश जारी किए गए थे। क्षेत्र के अधिकांश स्कूल उन दिशा निर्देंशों की अवहेलना करते हुए वाहन चलवा रहे हैं। जिससे उनमें बैठने वाले बच्चों की जान पर खतरा हमेशा खतरा मंडराता रहता है। खास बात यह है कि अधिकांश स्कूली बसों की न तो फिटनेस हैं और न अनुभवी चालक ही हैं।
बता दें कि विगत कुछ दिनों पहले प्रदेश के परिवहन आयुक्त ने प्रदेश भर के स्कूली वाहनों के लिए सामान्य शर्तों, सुरक्षा संबंधी मानक और सीट्स की उचित व्यवस्था करने के लिए निर्देश पत्र जारी किया था। निर्देश पत्र को सभी स्कूलों और कालेजों को उपलब्ध कराने के निर्देश सभी जिलों के एआटीओ को दिए गए थे। जिसमें बताया गया कि स्कूली बसों में अग्निशमन यंत्र, फस्र्ट एड बाक्स, गति नियंत्रण करने को स्पीड गवर्नर सहित पांच वर्ष अनुभवी ड्राइवर समेत एक अनुभवी सहायक होना जरूरी है। इसके साथ ही कई अन्य दिशा निर्देश भी दिए गए। उधर, सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी कार्यालय की ओर से जारी किए गए निर्देशों में बताया कि सभी स्कूल संचालकों को स्कूलों में निजी वाहनों से आने वाले बच्चों के लाइसेंस हैं या नहीं यह सुनिश्चित करें। साथ ही परिवहन संबंधी नियमों की जानकारी वाली पुस्तक कार्यालय से प्राप्त कर बच्चों को जानकारी देने के निर्देश दिए। बच्चों की सुरक्षा की परवाह किए बगैर और नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए शहर भर में अधिकांश बसें, स्कूूली टैक्सी एवं अन्य वाहन धड़ल्ले से चलाए जा रहे हैं।
कई स्कूल संचालक तो बसों पर स्कूल बस अंकित कराकर डग्गामारी भी करवा रहे हैं। इससे बेखबर विभाग ने शायद ही अभी तक स्कूली वाहनों चालान किए हों। पूरे क्षेत्र की स्थिति यह है कि एक दो को छोड़कर ड्राइवर शायद ही कोई स्कूल हो जो नियमों को पूरा कर स्कूली बसों का संचालन करवा रहा हो। कई वाहन चालक अवैध गैस किट लगाकर भी बच्चों को ढोने का काम कर रहे हैं। जिससे कभी कोई घटना घटित हो सकती है।
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