राशन वितरण प्रणाली के मानकों की हो रही अनदेखी, विभाग खामोश



लखीमपुर-खीरी। शासन स्तर से गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले जरूरत मंद लोगों को सस्ती दर पर राशन चीनी और मिट्टी का तेल मुहैया कराने को हर कसबे और गांव में सस्ते गल्ले राशन की दुकानें खुलवाई गई हैं पर जिम्मेदारों की उदासीनता से गरीबों की जगह पर कर्मियों की जेबों की मोटाई जरूर बढ़ रही है। राशन वितरण प्रणाली में मानकों की अनदेखी की जाती है। कहीं पर राशन की मात्रा कम दी जाती तो कहीं निर्धारित मूल्य से ज्यादा पैसा लिया जा रहा है। आए दिन कोटेदारों की अफसरों के पास शिकायतें भी पहुंचती रहती हैं पर फिर भी सुधार नहीं हो पा रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि कोटेदार दो से तीन किलो तक गेहूं और चावल कम देते हैं। यही हाल मिट्टी के तेल का भी है। शक्कर तो साल में दो तीन बार गायब कर दी जाती है। 

 कोटेदारों का कहना है कि शासन से जो मानक राशन वितरण को दिया गया उसके हिसाब से राशन पूरा ही नहीं किया जा सकता है। इसके अलाव प्रति बोरी तीन से पांच किलो गेहूं और चावल कम निकलता है। फिर राशन की ढुलाई और सत्यापन करने वाले कर्मचारी का भी खर्चा भी देना होता है। ऐसी स्थित में पूरा राशन कहां से दिया जा सकता है।  

नियमतः बीपीएल कार्ड धारकों को प्रति कार्ड के हिसाब से गेहूं 15 और चावल 20 किलो मिलना चाहिए जबकि कोटेदारों द्वारा इनको गेहूं 13 किलो और चावल 17 किलो प्रति कार्ड के हिसाब से ही वितरण किया जा रहा है। इसी तरह अंत्योदय कार्ड धारकों को गेहूं 10 और चावल 25 किलो मिलना चाहिये जिसकी जगह कोटेदारों द्वारा गेहूं 9 और चावल 23 किलो ही दिया जाता है। यही नहीं इसी तरह शक्कर और मिट्टी का तेल भी कोटेदार कार्ड धारकों को निर्धारित दर से ज्यादा रेट पर दे रहे है। 
 
कार्ड धारकों द्वारा की जा रही तमाम शिकायतो के बावजूद भी अपनी खाऊ कमाऊ नीति के चलते पूर्ति विभाग राशन वितरण प्रणाली के मानकों की अनदेखी कर रहा है। 

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