नवरात्रि विशेष: भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती हैं मां शारदा

लखीमपुर-खीरी। शहर के मोहल्ला शास्त्रीनगर में विराजती हैं माँ शारदा। प्राचीन कथानुसार जब देवी सती ने राजा दक्ष द्वारा संचालित यज्ञ में आत्मदाह कर लिया था तब भगवान शिव उनको अपने कंधे पर लेकर तीनो लोकों में भ्रमण कर रहे थे उस दौरान सती के शरीर के अंग जहाँ-जहाँ गिरे वहाँ-वहाँ एक शक्तिपीठ का निर्माण हुआ जिसके अनुसार मध्य प्रदेश के जिला सतना स्थित त्रिकूट पर्वत पर माँ का हार गिरा और तक से उस का स्थान का नाम मैहर पड़ा। एक अन्य कथानुसार एक बार राजा आल्हा-उदल कहीं से खजाना लेकर आ रहे थे अंधेरी रात होने के कारण उन्हें खजाना लुटने का भय सता रहा था तभी उन्हें एक ऊँचे स्थान पर प्रकाश दिखाई पड़ा वहाँ पहुंचने पर उन्हंे माता के दर्शन हुए। कहते हैं कि राजा ने अपना सम्पूर्ण खजाना वहीं त्याग दिया और माँ का ध्यान करने लगे तथा माँ शारदा को अपनी कुल देवी माना। मंदिर के मुख्य पुजारी के अनुसार आज भी आल्हा-उदल उस मंदिर में पूजा करने आते हैं क्योंकि मंदिर के द्वार खुलने पर मूर्ति पुजी हुई मिलती है तथा कभी-कभी हाथी के चिंघाड़ने की आवाज सुनाई देती है तथा मंदिर के आस-पास हाथी के बाल भी दिखते हैं। मंदिर के ही एक अन्य पुजारी के अनुसार कुछ वर्ष पूर्व माँ शारदा की प्रतिमा खुदाई के दौरान प्राप्त हुई थी जिसकी स्थापना लखीमपुर-खीरी के मो शास्त्रीनगर में की गई तब से निरन्तर माँ शारदा भक्तों की मनोकामना पूर्ण कर रही हैं। नवरात्रों में विशेष तौर पर तमाम भक्त अपनी मुरादें पूर्ण करने के लिए मंदिर में धागा बांधते हैं एवं नारियल चढ़ाते हैं। मान्यता है कि चढ़े हुए नारियलों में से जिन भक्तों के नारियल स्वयं चिटक जाते हैं उन भक्तों की मन्नतें शीघ्र पूर्ण होती हैं।

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