क्या आप जानते हैं कहां थे गांधी जी के तीन बंदर.......?



लखीमपुर-खीरी। गांधीजी के तीन बंदरों के बारे में आप सभी ने कुछ कुछ सुनकर रखा होगा लेकिन क्या आप जानते है कि यह तीन बंदर कहां से आए थे। आइए हम आपको बताते है उनके बारें में महत्वपूर्ण जानकारी------------------

गांधीजी के यह तीन बंदर मूल जापानी संस्कृति से लिए गए हैं।


वर्ष 1617 में जापान के निक्को स्थि‍त तोगोशु की बनाई गई इस समाधि पर यह तीनों बंदर उत्कीर्ण हैं।


हालांकि ऐसा भी माना जाता है कि यह बंदर जिन सिद्धांतों की ओर इशारा करते हैं वे बुरा देखो बुरा सुनो बुरा बोलो को दर्शाते हैं।


वे मूल चीनी दार्शनिक कन्फ्यूशियस के थे और आठवीं शताब्दी में ये चीन से जापान में आए। उस समय जापान में शिंटो संप्रदाय का बोलबाला था। शिंटो संप्रदाय में बंदरों को काफी सम्मान दिया जाता है। शायद इसीलिए इस विचारधारा को बंदरों का प्रतीक दे दिया गया। यह यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल है।

जापान में इन्हें मिजारू या‍नी जिसने दोनों हाथों से आंखें बंद कर रखी हैं  यानी जो बुरा नहीं देखता। दूसरे को किकाजारू यानी जिसने दोनों हाथों से कान बंद कर रखे हैं यानी जो बुरा नहीं सुनता और तीसरे को इवाजारू जिसने दोनों हाथों मुंह बंद कर रखा है यानी जो बुरा नहीं कहता।

वहां पर इन्हें बुद्धिमान बंदर माना जाता है।

Post a Comment

أحدث أقدم