भ्रष्टाचार का पर्याय है बाल विकास पुष्टाहार विभाग

लखीमपुर-खीरी। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग भ्रष्टाचार का पर्याय बन चुका है जिसके चलते बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग में धन उगाही का धंधा बेरोकटोक जोरों पर चल रहा है। शहरी परियोजना लखीमपुर में संचालित सौ आंगनबाड़ी केन्द्रों से प्रतिमाह एक हजार रूपये की वसूली की जा रही है। पैसा न देने वाले कार्यकत्रीयों का केंद्रों की चेकिंग के नाम पर उत्पीड़न किया जा रहा है। सभी सौ केन्द्रों से प्रतिमाह एक लाख रूपये वसूल कर सीडीपीओ के हवाले किये जाते हैं।

हैरत की बात तो यह है कि हाटकुक योजना क तहत गर्मागरम खाना बच्चों को खिलाने के लिये ईधन की भी व्यवस्था विभाग द्वारा नहीं की गई है जबकि प्रति दिन लगभग पचास रूपये ईधन पर व्यय हो जाते है। धन उगाही का धंधा सुपरवाइजरों के माध्यम से कराया जा रहा है। वेतन ऑनलाइन किये जाने के नाम पर भी धन उगाही होती है। हाटकुक पकाने के लिये प्रेशर कुकर खरीदने के लिये भी विभाग द्वारा एक दुकानदार से सांठगांठ करके घटिया किस्म का कुकर एक हजार में खरीदने के लिये जब कार्यकत्रियों को बाध्य किया गया, तो इसकी शिकायत उच्च स्तरीय अधिकारियों तक हुई।

शहर के प्राथमिक स्कूलों के अतिरिक्त अनेक निजी मकानों में भी आंगनबाड़ी केंद्र संचालित है। जिनका किराया विभाग द्वारा प्रतिमाह 750 रूपये की दर से दिया जाना निर्धारित है। यहां पर यह भी गौर करने की बात है कि जिला मुख्यालय जैसे शहर में 750 रूपये की अत्यंत कम धनराशि में कोई कमरा कैसे मिल सकता है। इतना ही नहीं विभाग यह भी चाहता है कि बच्चों के उठने बैठने व खेलने के साथ ही बाथरूम आदि की भी उचित व्यवस्था होनी चाहिये। किराये के भुगतान में भी विभाग द्वारा खुलकर धन उगाही की जाती है।

सीडीपीओ अवधेश से जब इस बावत जानकारी ली गई, तो उन्होंने बताया कि धन उगाही की कोई जानकारी उनके संज्ञान में नहीं है। जबकि सुपरवाइजर का कहना है कि वसूल किये गये रूपयों में परियोजना स्टाफ से लेकर ऊपर तक सभी का हिस्सा होता है। बीते करीब डेढ़ साल से वे शहरी परियोजना में कार्यरत है। उन्होंने बताया कि अपने इस अल्प कार्यकाल मंे शहर के करीब सभी कंेद्रो का मुआयना कर चुकी हैं।

उनका दावा है कि प्रति माह पन्द्रह से बीस और एक दिन में दो से तीन केंद्रो का निरीक्षण करती हैं। परियोजना में वाहन न होने के कारण निरीक्षण में परेशानी हो रही है। उन्होंने यह भी बताया कि मोहल्ला राजगढ़ और प्यारेपुर में दो सहायकाओं के पद रिक्त है। जिन पर रोक लगी हुई है।

उधर जब प्रभारी जिला कार्यक्रम अधिकारी अजय जायसवाल से बात की गयी तो उन्होंने कहा कि उन्हें अभी मात्र ढाई माह ही कार्य करते हुआ है। यदि कहीं पर कोई वसूली हो रही है, तो जांच कराकर दोषी के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जायेगी। हाटकुक पकाने के लिये ईधन के बारे में जब उनसे पूछा गया, तो उन्हांेने कहा कि हाटकुक पकाने के लिये ईधन की व्यवस्था मातृ समिति के सहयोग से की जाती है।

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